ट्रंप का बड़ा ऐलान:- रूस से तेल खरीदने वालों पर सख्त पाबंदियां, चीन भी निशाने पर

ट्रंप का बड़ा ऐलान: रूस से तेल खरीदने वालों पर सख्त पाबंदियां, चीन भी निशाने पर

ट्रंप का बड़ा ऐलान: रूस से तेल खरीदने वालों पर सख्त पाबंदियां, चीन भी निशाने पर

 अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को चेतावनी दी कि रूसी ऊर्जा उत्पाद खरीदने वाले देशों के लिए और दंड आने वाले हैं। यह चेतावनी भारत पर 25% टैरिफ लगाने के बाद आई है, जो गुरुवार से प्रभावी होने वाली है।

यह कदम यूक्रेन में युद्ध के कारण रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के ट्रम्प के बड़े प्रयासों का हिस्सा है। उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए शुक्रवार की समयसीमा तय की थी कि वह इस आर्थिक दंड से पहले शांति स्थापित करें।   

ट्रम्प ने यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर रूसी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाने के अपने बड़े अभियान के तहत यह कार्रवाई की है। उन्होंने पुतिन को चेतावनी दी थी कि यदि शुक्रवार तक युद्धविराम नहीं हुआ, तो यह आर्थिक प्रतिबंध लागू हो जाएगा।

अमेरिकी प्रतिबंधों के पिछले दौर

जिनमें ट्रम्प के पूर्ववर्ती जो बाइडन के कार्यकाल भी शामिल है—ने रूस की अर्थव्यवस्था को झटका जरूर दिया, लेकिन पुतिन के युद्ध अभियान को रोक नहीं पाए।

यह रणनीति टैरिफ के इस्तेमाल में ट्रम्प की बढ़ती सख्ती को दर्शाती है, जो उनके दूसरे कार्यकाल का प्रमुख हथियार रहा है। इससे पहले, उन्होंने टैरिफ का उपयोग विस्तृत एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया है—चाहे वह अमेरिकी विनिर्माण को सुरक्षित करना हो या विदेशी सरकारों पर नीतिगत दबाव डालना हो।

हालाँकि, इन “सेकेंडरी टैरिफ” (गौण शुल्कों) का उद्देश्य तीसरे देशों को एक विकल्प के सामने खड़ा करना है: या तो अमेरिकी विरोधी देशों से संबंध तोड़ें या फिर और दंड भुगतने का जोखिम उठाएँ।  ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल में टैरिफ को एक प्रमुख हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। अब ये “अप्रत्यक्ष शुल्क” अन्य देशों को धमकाने के लिए हैं—या तो वे रूस से दूरी बनाएँ या अमेरिका से और सजा पाएँ।

रूसी ऊर्जा का सबसे बड़ा खरीदार चीन

चीन रूसी तेल और गैस का सबसे बड़ा ग्राहक है, और ट्रम्प फिलहाल उसके साथ नया व्यापार डील करने में जुटे हैं। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि बातचीत आगे बढ़ रही है। लेकिन ट्रम्प ने चीन पर भी ये दबाव बनाने वाले प्रतिबंध लगाने का विकल्प खुला रखा है, भले ही इससे डील टूटने का खतरा हो।

चीन भी इनमें शामिल हो सकता है, उन्होंने संकेत दिया। हो सकता है ऐसा करें। अभी कुछ पक्का नहीं है।

अमेरिका में चीनी दूतावास ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा, चीन अमेरिकी सरकार द्वारा लगाए जाने वाले गैरकानूनी एकतरफा प्रतिबंधों और दूर तक फैले अधिकार क्षेत्र’ की मनमानी को कभी स्वीकार नहीं करता।

दूतावास प्रवक्ता ने स्पष्ट किया

शुल्क युद्ध सबको नुकसान पहुंचाते हैं। धमकी देने से समाधान नहीं निकलेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि  lचीन और अन्य देशों ने अंतरराष्ट्रीय नियमों के भीतर रूस के साथ जायज व्यापारिक संबंध रखे हैं, जो पूरी तरह कानूनी है और किसी अन्य देश के हितों को प्रभावित नहीं करता।

**चीन का निर्यात बढ़ा, अमेरिकी प्रतिबंधों की आशंका के बावजूद**

आसन्न प्रतिबंधों की आशंका के बीच चीन का निर्यात जुलाई में साल-दर-साल **7.2%** बढ़कर उम्मीदों से आगे निकल गया, जो जून के **5.8%** की वृद्धि दर से भी तेज है।

 

ट्रम्प के टैरिफ ने अमेरिका-चीन तनाव बढ़ाया

ट्रम्प की ओर से सेकेंडरी टैरिफ की धमकियों ने वाशिंगटन और उसके एक अन्य प्रमुख व्यापारिक साझेदार (चीन) के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है।

 

भारत पर भारी टैरिफ, अमेरिकी दबाव का नया लक्ष्य

ट्रंप का बड़ा ऐलान: रूस से तेल खरीदने वालों पर सख्त पाबंदियां, चीन भी निशाने पर

अमेरिकी राष्ट्रपति ने बुधवार को भारत पर  व्यापक और ऊंचे टैरिफ लगाए, जो दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर अमेरिका द्वारा लगाए गए अब तक के सबसे कड़े आर्थिक दंडों में से हैं।

अमेरिका ने भारत पर रूसी तेल आयात के लिए 25% टैरिफ की घोषणा की

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार से प्रभावी होने वाले 25% टैरिफ के अलावा, इसी महीने भारत पर रूसी तेल और गैस आयात के लिए **एक और 25% टैरिफ** लगाने की घोषणा की।

मोदी ने कहा – “किसानों के हित सर्वोपरि, कीमत चुकाने को तैयार”

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि अमेरिकी व्यापारिक दबाव के आगे न झुकने और भारी टैरिफ झेलने का निर्णय उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

उन्होंने कहा, हमारे लिए किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हित सर्वोपरि हैं। भारत इन पर कभी समझौता नहीं करेगा। मैं जानता हूँ कि मुझे व्यक्तिगत रूप से इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूँ।

भारत ने अमेरिका को दिया जवाबी प्रतिक्रिया

विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया:

हमने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। हमारे आयात बाजार की जरूरतों और 1.4 अरब भारतीयों की ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखकर किए जाते हैं।

यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए, जबकि कई अन्य देश भी अपने राष्ट्रीय हित में ऐसे कदम उठा रहे हैं।

Note – ब्रेकिंग न्यूज के लिए क्लिक करे

Leave a Comment