Zoho ने अपने खुद के POS (पॉइंट ऑफ सेल) डिवाइस लॉन्च किए हैं, जो ‘स्वदेशी’ अभियान को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है। वेम्बू ने कहा, “Arattai ऐप जल्द ही Zoho Pay के साथ जुड़ जाएगा।”

Zoho ने अपने खुद के POS (पॉइंट ऑफ सेल) डिवाइस लॉन्च किए हैं

Zoho

Zoho Corporation ने फिनटेक सेक्टर में अपनी मौजूदगी को और मजबूत करते हुए Zoho Payments POS टर्मिनल, QR-सक्षम डिवाइस और साउंड बॉक्स लॉन्च किए हैं। इसके साथ ही कंपनी ने पेयआउट, कलेक्शन और सेटलमेंट के लिए नए समाधान भी पेश किए हैं।

यह घोषणा Global Fintech Fest 2025 में की गई, जिसका आयोजन Payments Council of India (PCI), National Payments Corporation of India (NPCI) और Fintech Convergence Council (FCC) द्वारा किया गया था।

यह नया हार्डवेयर Zoho का पहला कदम है फिजिकल पेमेंट डिवाइस के क्षेत्र में। यह 2024 में शुरू किए गए Zoho Payments प्लेटफॉर्म का विस्तार है, जो एक सुरक्षित यूनिफाइड पेमेंट गेटवे है, जिससे व्यवसाय आसानी से भुगतान स्वीकार कर सकें।

POS डिवाइस टैप, डिप और स्वाइप कार्ड ट्रांजैक्शन के साथ-साथ UPI पेमेंट्स (स्टैटिक और डायनेमिक QR कोड) दोनों को सपोर्ट करते हैं। इनमें इनबिल्ट बिलिंग, बारकोड स्कैनर और रिसीट प्रिंटर भी हैं, जबकि QR डिवाइस में साउंड बॉक्स दिए गए हैं जो तुरंत पेमेंट कन्फर्मेशन की सुविधा देते हैं।

Zoho Payment Technologies के CEO और Zoho के ग्लोबल हेड ऑफ फाइनेंस एंड ऑपरेशंस श्री शिवरामकृष्णन इस्वरन ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य बिज़नेस फाइनेंस, बैंकिंग और पेमेंट प्रक्रियाओं को एक एकीकृत इकोसिस्टम में जोड़ना है।

अब Zoho का पूरा सूट कलेक्शन, पेयआउट और रिकंसीलेशन को सीधे Zoho के अकाउंटिंग, बिलिंग और पेरोल प्रोडक्ट्स से जोड़ता है।

Zoho Payments ने अब पेयआउट (भुगतान वितरण) की सुविधा भी शुरू की है, जिससे Zoho Payroll का उपयोग करने वाले व्यवसाय किसी भी लिंक किए गए बैंक खाते से स्वचालित वेतन भुगतान कर सकते हैं और रियल-टाइम में ट्रांजैक्शन को ट्रैक कर सकते हैं।

इसमें कुछ अतिरिक्त फीचर्स भी जोड़े गए हैं 

स्प्लिट सेटलमेंट्स: यह मार्केटप्लेस के लिए है, जहां ग्राहक का भुगतान अपने-आप सेलर और प्लेटफॉर्म के बीच बाँट दिया जाता है।

वर्चुअल अकाउंट्स: इससे व्यवसाय हर ग्राहक या इनवॉइस के लिए एक अलग अकाउंट नंबर बना सकते हैं, जिससे NEFT, RTGS या IMPS के जरिए आने वाले पेमेंट्स को आसानी से ट्रैक और रिकंसील किया जा सके।

अब प्लेटफॉर्म ऑन-डिमांड और T+1 सेटलमेंट्स को भी सपोर्ट करता है, जिससे छोटे और मध्यम व्यवसायों को तेजी से फंड प्राप्त होते हैं।

Zoho Books और Zoho Billing यूज़ करने वाले व्यवसाय अब UPI Autopay e-mandate के जरिए रिपीट पेमेंट्स (जैसे सब्सक्रिप्शन) को ऑटोमेट कर सकते हैं — खासकर फिटनेस, एजुकेशन जैसे सेक्टर्स के लिए।

श्री शिवरामकृष्णन इस्वरन ने बताया कि Zoho पहले से ही 8 भारतीय बैंकों से जुड़ा हुआ है, जिनमें ICICI Bank, State Bank of India, Kotak Mahindra Bank और Axis Bank शामिल हैं। यह “Connected Banking” पहल का हिस्सा है, जिसके ज़रिए यूज़र्स पेयआउट शुरू करना, बैलेंस देखना और बैंक स्टेटमेंट रिकंसील करना सीधे Zoho सॉफ़्टवेयर के अंदर कर सकते हैं।

कंपनी रिस्क मैनेजमेंट, KYC ऑटोमेशन और AI आधारित फ्रॉड डिटेक्शन में भी निवेश कर रही है ताकि पेमेंट सिस्टम को और सुरक्षित बनाया जा सके।

हालांकि Zoho के हार्डवेयर डिवाइस फिलहाल इम्पोर्ट किए जाते हैं, लेकिन कंपनी अगले 3 से 5 सालों में लोकल मैन्युफैक्चरिंग (स्थानीय उत्पादन) शुरू करने पर विचार कर रही है। इस्वरन ने कहा कि कंपनी की प्राइवेट ओनरशिप स्ट्रक्चर उसे लॉन्ग-टर्म योजनाएं बनाने की आज़ादी देता है, क्योंकि उस पर किसी बाहरी निवेशक का दबाव नहीं है।

कुल मिलाकर, Zoho की रणनीति एक पूर्ण वित्तीय इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लेटफॉर्म बनाने की है, जो सॉफ्टवेयर, बैंकिंग और पेमेंट्स को एक नियमित और सुरक्षित ढांचे में जोड़ता है।

Zoho Payment Technologies एक RBI-लाइसेंस प्राप्त पेमेंट एग्रीगेटर और Bharat Bill Payment Operating Unit (BBPOU) के रूप में काम करता है।

चेन्नई मुख्यालय वाली यह कंपनी दुनिया भर में 18,000 से अधिक कर्मचारियों को रोजगार देती है और 130 मिलियन से अधिक यूज़र्स को सेवाएं प्रदान करती है।

यह एक प्राइवेट और प्रॉफिटेबल कंपनी है, जो अपने डेटा सेंटर्स पर पूरा नियंत्रण रखती है, जिससे ग्राहकों की प्राइवेसी और सिक्योरिटी सुनिश्चित होती है।

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