ट्रम्प ने पुतिन के प्रस्ताव का किया समर्थन–ट्रम्प चाहते हैं कि पुतिन का प्लान मान लिया जाए — रूस को डोनबास का पूरा इलाका मिल जाए और बाकी जगहों पर लड़ाई रोककर यूक्रेन से समझौता कर लिया जाए। युद्ध से पहले डोनबास में करीब 65 लाख लोग रहते थे, और इसमें लुहान्स्क व दोनेत्स्क इलाके आते हैं।
पुतिन लुहान्स्क और दोनेत्स्क इलाके पर पूरा नियंत्रण चाहते हैं, और बाकी जगहों पर लड़ाई रोककर समझौते के लिए तैयार दिख रहे हैं। लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने साफ कहा है कि वे डोनबास का इलाका रूस को नहीं देंगे।
ट्रम्प से बड़ी मीटिंग से पहले ज़ेलेंस्की ने कहा कि अगर शांति समझौता होना है तो उसकी कुछ शर्तें माननी होंगी।
ज़ेलेंस्की कहते हैं कि दोनेत्स्क का जो हिस्सा अभी यूक्रेन के पास है, उसे रूस को नहीं देंगे, क्योंकि यह कानून के खिलाफ है और बाद में रूस इसे नए हमले के लिए इस्तेमाल कर सकता है। सोमवार को वे इस मुद्दे पर ट्रम्प से व्हाइट हाउस में मिलेंगे।
पहले ट्रम्प सीज़फायर के पक्ष में थे, लेकिन अब वे सीधे शांति समझौते की बात कर रहे हैं। पुतिन भी केवल लंबे समय का ऐसा समाधान चाहते हैं, जो रूस के लिए फ़ायदेमंद हो।
ट्रम्प और यूरोपीय नेताओं ने मिलकर कहा कि युद्ध रोकने का सबसे अच्छा तरीका शांति समझौता है, सिर्फ़ युद्धविराम नहीं। जर्मनी के चांसलर ने बताया कि रूस बातचीत वहीं की सीमाओं पर करना चाहता है जहाँ अभी युद्ध चल रहा है, न कि असली प्रशासनिक सीमाओं पर। यूरोपीय नेताओं ने अभी यह साफ़ नहीं किया कि वे किसे ज़्यादा सही मानते हैं।
पुतिन ने अलास्का में ट्रम्प के साथ हुई अपनी बातचीत को “बहुत स्पष्ट और खुली” करार दिया।
क्रेमलिन में हुई अगली बैठक में पुतिन ने कहा
“हम अमेरिकी प्रशासन के उस रुख़ का सम्मान करते हैं, जो सैन्य कार्रवाई को जल्द ख़त्म करने की ज़रूरत को देखता है। हम भी चाहते हैं कि सभी मुद्दों का हल शांति के तरीक़े से किया जाए।
अलास्का की उड़ान के दौरान राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा था कि अगर वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत में यूक्रेन में युद्धविराम (सीज़फायर) तय नहीं कर पाए, तो वह “खुश नहीं होंगे” और इसके “कड़े नतीजे” होंगे।
लेकिन कुछ ही घंटों बाद, जब वे अलास्का से एयर फ़ोर्स वन पर लौटे, तो न तो कोई युद्धविराम हुआ और न ही ट्रम्प ने कोई सज़ा या कड़ा कदम उठाया। इसके उलट, वे पुतिन के साथ हुई बातचीत से इतने संतुष्ट थे कि उन्होंने कहा।
अलास्का में ट्रम्प और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाक़ात के बाद जारी एक संयुक्त बयान में यूरोपीय नेताओं ने युद्ध रोकने के लिए ट्रम्प के प्रयासों का स्वागत किया और उनके इस ऐलान की सराहना की कि अमेरिका शांति समझौते के बाद भविष्य में सुरक्षा की गारंटी देगा।
हालाँकि, इस बयान में ट्रम्प की उस शनिवार सुबह की स्थिति को नहीं दोहराया गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अब तुरंत युद्धविराम की बजाय निर्णायक शांति वार्ता ही बेहतर है।
यूरोपीय नेताओं ने लिखा
“जब तक यूक्रेन में हत्या और खूनखराबा जारी है, हम रूस पर दबाव बनाए रखने के लिए तैयार हैं। हम रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था पर दबाव डालने के लिए प्रतिबंधों और व्यापक आर्थिक कदमों को और मज़बूत करते रहेंगे, जब तक कि एक न्यायपूर्ण और स्थायी शांति नहीं मिलती।”
इस बयान पर ब्रिटेन, फ़्रांस, जर्मनी, फ़िनलैंड, इटली, पोलैंड, यूरोपीय संघ और यूरोपीय परिषद के नेताओं ने हस्ताक्षर किए।
यूरोपीय नेता कह रहे हैं कि पुतिन पर भरोसा नहीं है, इसलिए शांति वार्ता में यूक्रेन का शामिल होना ज़रूरी है। उनका मानना है कि युद्ध की असली वजह रूस का हमला और उसका साम्राज्यवादी रवैया है।
पुतिन के साथ मंच पर ट्रम्प ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा कि वे दोनों एक ही मुसीबत से गुज़रे हैं, जिसे वे “रूस होक्स” कहते हैं।