अख्तरुल ईमान vs अब्दुल जलिल मस्तान — कौन बेहतर नेता? जानिए बेहतर नेता कौन है अमौर विधानसभा के लिए।
अख्तरुल ईमान: बिहार विधानसभा में अमौर क्षेत्र से वर्तमान में विधायक हैं। वे AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इततेहादुल मुस्लिमीन) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
अब्दुल जलिल मस्तान: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, जिन्होंने अमौर सीट से 1985 से लेकर 2015 तक छह बार विधायक पद संभाला और 2015 में बिहार सरकार में पंजीकरण, उत्पाद शुल्क व निषेध मंत्री रहे।
शिक्षा की पृष्ठभूमि पर एक नजर
अख्तरुल ईमान: उन्होंने Magadh University से M.A. (पोस्ट-ग्रेजुएट) की डिग्री प्राप्त की। इसके अतिरिक्त, वे सामाजिक कार्य (Social Worker) एवं कृषि (Farmer) में संलग्न हैं ।
अब्दुल जलिल मस्तान: उनकी औपचारिक शिक्षा से जुड़ी जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन उनके लंबे सामाजिक-राजनीतिक करियर और अनुभव से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे क्षेत्रीय समाज और प्रशासन से गहराई से जुड़े हुए हैं ।
राजनीतिक कार्य और उपलब्धियाँ की बात की जाए तो
अख्तरुल ईमान:
उन्होंने 1985 में छात्र राजनीति से कदम रखा और तब से ही अपराध, सामाजिक अन्याय और छात्रों के अधिकारों जैसे मुद्दों पर सक्रिय रहे ।
वर्ष 2012 में उन्होंने सरकार को 35 हाई स्कूल खोलने के लिए विशेष कैबिनेट बैठक बुलवाने के लिए दबाव डाला, क्योंकि किशनगंज जैसे जिलों में बालकों के लिए पर्याप्त शिक्षा संस्थानों का अभाव था ।
उन्होंने विधानसभा में पिछले आठ वर्षों में 853 से अधिक जनहित से जुड़े प्रस्ताव उठाए, जिससे उनकी सक्रिय विधायक भूमिका और समाज-हित में काम करने की प्रतिबद्धता साफ़ झलकती है ।
2025 के बिहार चुनाव से पहले उन्होंने मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सवाल उठाकर मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा की आवाज़ भी उठाई । और भी बहुत सारे मामले में इनको आगे देखा गया जैसे के वक्फ बिल, तीन तलाक ओर उर्दू भाषा से जुड़े हुए सारे मामले में इसने अपनी आवाज उठाई।
अब्दुल जलिल मस्तान:
छह बार विधायक निर्वाचित हो चुके मस्तान का लंबा राजनीतिक अनुभव उन्हें क्षेत्रीय राजनीति और प्रशासन में गहरी पकड़ देता है । लेकिन ये माना जाता हैं कि अपने कार्यकाल में लोगों की मुद्दों को लेकर ज्यादा आवाज उठाया नहीं है।
2015–2017 तक उन्होंने बिहार सरकार में मंत्री के रूप में काम किया, जिससे उन्हें प्रशासनिक और नीति-निर्माण दृष्टिकोण का अनुभव मिला ।
समाजसेवा और जन-हित योगदान
अख्तरुल ईमान:
सीमांचल क्षेत्र में शिक्षा, मतदाता अधिकार और सांप्रदायिक राजनीति से ऊपर उठकर विकास की आवाज़ उठाना उनकी राजनीति-सांची है ।
उन्होंने Surya Namaskar को जबरदस्ती बच्चों पर थोपे जाने पर विरोध किया, सरकार को रोकने में सफल रहे, जो कि धार्मिक शिक्षाओं के साथ-साथ व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला था ।
उन्होंने मतदाता वंचना जैसे लोकतांत्रिक मुद्दों को उठाया, जिससे समाज के कमजोर वर्गों को न्याय मिले ।
अब्दुल जलिल मस्तान:
उनके सामाजिक योगदान का प्रत्यक्ष विवरण उपलब्ध नहीं है। हालांकि, छह बार विधायक और एक मंत्री रहे होने की वजह से, उनकी जन-सेवा और क्षेत्रीय विकास में योगदान पर भविश्य में और जांच-विश्लेषण की आवश्यकता है।
कौन ज़्यादा समाजसेवी?
यदि हम समाज सेवा की दृष्टि से देखें, तो अख्तरुल ईमान का सक्रियता, शिक्षा क्षेत्र में पहल और लोकतांत्रिक अधिकारों पर संघर्ष उन्हें एक समर्पित समाजसेवी नेता बनाता है। उन्होंने सीमांचल के पीड़ित वर्गों के लिए आवाज़ उठाई और विकास-उन्मुख राजनीति को बढ़ावा दिया।
शिक्षा और समाज-सेवा के दृष्टिकोण से, अख्तरुल ईमान अधिक सक्रिय, आधुनिक और जन-हित-उन्मुख नेता प्रतीत होते हैं।
वहीं, अब्दुल जलिल मस्तान का अनुभव और प्रशासनिक भूमिका गंभीर है, लेकिन उनके समाज-हित योगदान के विशिष्ट विवरण लोग-लक्ष्मी रूप में उपलब्ध नहीं हैं। संभवतः, उन्होंने क्षेत्रीय विकास के लिए काम किया हो, लेकिन जनता समस्याओं को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं दिखे।
अख्तरुल ईमान: 2024–2025 में जनता के लिए किए गए प्रमुख कार्य
2024–2025 में अमौर के विधायक और AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कई ऐसे मुद्दे उठाए जो सीधे जनता के अधिकार और विकास से जुड़े हैं।
सबसे पहले, उन्होंने मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (2025) में गरीब, अल्पसंख्यक और वंचित वर्ग के लोगों के नाम काटे जाने के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बताते हुए कहा कि यह सरकार और चुनाव आयोग की मिलीभगत का परिणाम है। इस मामले में उन्होंने प्रशासन से पारदर्शी प्रक्रिया की मांग की ताकि कोई भी नागरिक अपने मताधिकार से वंचित न हो।
बजट सत्र 2025 के दौरान उन्होंने विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक अंगरक्षक पर फतुहा स्थित कब्रिस्तान और दरगाह पर अवैध कब्जे का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने इस मामले में निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग रखी। यह कदम धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना गया।
इसके अलावा, अख्तरुल ईमान ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को लेकर भी अपनी स्पष्ट राय रखी। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में कहा कि ऐसी कार्रवाई पहले ही हो जानी चाहिए थी, ताकि सीमांचल और अन्य क्षेत्रों में आतंकवाद की जड़ें समय रहते खत्म की जा सकतीं।
साल 2024–2025 में उनकी सक्रियता सिर्फ राजनीतिक मंचों तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे से जुड़े मुद्दों पर भी जनता की आवाज को सदन में पहुंचाया। उनकी पहलों से साफ है कि वे अपने क्षेत्र के सामाजिक न्याय, धार्मिक सौहार्द और लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति सजग और प्रतिबद्ध हैं।